महेंद्रगढ़ जिला मुख्यालय की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी: बलवान फौजी

महेंद्रगढ़। मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा गोहाना और हांसी को नए जिलों के रूप में घोषित किए जाने के बाद, महेंद्रगढ़ में जिला मुख्यालय स्थापित करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। समाजसेवी बलवान फौजी के नेतृत्व में क्षेत्र के अधिवक्ताओं और सामाजिक संगठनों के लोगों ने मंगलवार को लघुसचिवालय में सांकेतिक धरना दिया और सरकार के प्रति नारेबाजी की। उनकी मुख्य मांग महेंद्रगढ़ को जिला मुख्यालय का दर्जा देने की है।

ज्ञापन और धरना

बलवान फौजी और उनके समर्थकों ने नारनौल को अलग जिला बनाने और महेंद्रगढ़ में जिला मुख्यालय स्थापित करने के लिए सीएम नायब सैनी के नाम एक ज्ञापन भेजा। ज्ञापन डीसी मोनिका गुप्ता की अनुपस्थिति में एसडीएम संजीव कुमार को सौंपा गया। यह धरना और ज्ञापन इस बात का संकेत हैं कि महेंद्रगढ़ के लोग काफी लंबे समय से इस मांग को लेकर संघर्षरत हैं।

पुरानी मांगें और आंदोलन

2019 में बार एसोसिएशन ने भी इसी मांग को लेकर लगभग तीन महीने तक धरना दिया था। इसके अलावा, दुकानदारों ने बाजार बंद कर अपनी मांगों को सरकार तक पहुँचाने की कोशिश की थी। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी समय-समय पर सीएम को ज्ञापन भेजकर अपनी मांगें रखी हैं। इसके बावजूद, प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

आंदोलन की चेतावनी

बलवान फौजी ने चेतावनी दी है कि अगर 15 जुलाई तक महेंद्रगढ़ में जिला मुख्यालय स्थापित करने की घोषणा नहीं की जाती है, तो वे एक बड़ा आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में महेंद्रगढ़ विधानसभा के गांव-गांव से 10 से 15 हजार लोग शामिल होंगे। यह धरना दिन-रात जारी रहेगा और तब तक नहीं खत्म होगा जब तक महेंद्रगढ़ में जिला मुख्यालय की स्थापना नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार पर दबाव डालना है ताकि वे महेंद्रगढ़ की जनता की मांगों को गंभीरता से लें।

सरकार पर आरोप

बलवान फौजी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि नए जिलों, उपमंडल, पंचायत समिति, तहसील, उप तहसील आदि के पुनर्गठन की तैयारियों में महेंद्रगढ़ का नाम शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में महेंद्रगढ़ जिले की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि दक्षिणी हरियाणा के महेंद्रगढ़-रेवाड़ी जिलों में भाजपा के पांच विधायक हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी पुनर्गठन कमेटी में शामिल नहीं किया गया है। यह स्पष्ट रूप से भेदभाव को दर्शाता है।

अधूरे वादे

महेंद्रगढ़ के लिए भाजपा सरकार की घोषणाएं महज घोषणाएं ही बनकर रह गई हैं। खुड़ाना में आईएमटी, महेंद्रगढ़ में बाईपास, किसान मॉडल स्कूल, बिजली ट्रांसफार्मर का वर्कशॉप, रोडवेज सब डिपो, माधोगढ़ में महेंद्रगढ़ के किले को टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने, महेंद्रगढ़ नगरपालिका को नगर परिषद बनाने, दादरी से महेंद्रगढ़-नारनौल होते हुए अलवर तक रेल लाइन, सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मेडिकल कॉलेज जैसी घोषणाओं पर कोई अमल नहीं हुआ है। क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के साधन नहीं हैं। इन अधूरे वादों के कारण लोगों का सरकार के प्रति मोह भंग हो रहा है।

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